तेरी क्षमा अब कैसे स्वीकरुं, आत्मसम्मान को कैसे धिक्कारूं मस्तिष्क और मन को कैसे समझा तेरी क्षमा अब कैसे स्वीकरुं, आत्मसम्मान को कैसे धिक्कारूं मस्तिष्क और मन क...
मैं मैं
मैं अभिशप्ता.... मैं अभिशप्ता....
"कहता है कि इंसान मैं" "कहता है कि इंसान मैं"
उसको ही ख़ुदा भेज हक़ीक़त में आज़म की मेरे आ रही जो ख़्वाब में ख़ूब परी है। उसको ही ख़ुदा भेज हक़ीक़त में आज़म की मेरे आ रही जो ख़्वाब में ख़ूब परी है।
मैं कड़वी नीम सी; तुम मधुर शहद। मैं कड़वी नीम सी; तुम मधुर शहद।